Thursday, May 29, 2014



राष्ट्रद्रोही व अलगाववादी अनुच्छेद 370 को कश्मीर से अविलम्ब हटाये मोदी सरकार 


-देवसिंह रावत 


भारत में कश्मीर का विलय 26 अक्टूबर 1947 को कश्मीर के राजा हरिसिंह द्वारा किया गया। उस समय किसी प्रकार इस आतंकियों व अलगाववाद को पोषण करके कश्मीर को भारत से दूर करने वाले अनुच्छेद का कहीं अस्तित्व नहीं था।  वहीं कश्मीर को विशेषाधिकार देने वाला राष्ट्रद्रोही अनुच्छेद 370,  26 जनवरी 1950 को जोड़ा गया। इस लिए इस धारा को हटाने पर कश्मीर को भारत से अलग होने की बात कहने वाले न केवल अज्ञानी ही नहीं अपितु देशद्रोहियों को संरक्षण देने वाले भी है। क्योंकि जम्मू कश्मीर राज्य के संविधान की धारा 3 के अनुसार विधानसभा को कश्मीर के भारत में विलय के बारे में संशोधन करने का कोई अधिकार ही नहीं है। 
हकीकत यह है कि इसी धारा 370 के कारण ही कश्मीर में भारत के खिलाफ निरंतर अलगाववाद बढ़ रहा है। इस राष्ट्रद्रोही धारा को हटाने पर कश्मीर को भारत से अलग करने का दुशाहस करने वाले कश्मीर के मुख्यमंत्री सहित तमाम विरोधियों को कडा सबक सिखाते हुए मोदी सरकार 64 साल से देश के स्वाभिमान को रौंदने वाला अनुच्छेद 370 को तुरंत हटाया जाय। इस देशद्रोही अनुच्छेद के कारण ही कश्मीर में आतंकवादी व अलगाववादी प्रवृतियों को संरक्षण मिल रहा है। 

कश्मीर में अनुच्छेद 370 से अलगाववाद किस प्रकार से फैल रहा है इसके लिए जानिये अनुच्छेद 370 से कश्मीर को क्या विशेषाधिकार मिला है जो उसे भारत से अलगाववाद पैदा करने में शर्मनाक कार्य करता है। 
- इस अनुच्छेद 370 के कारण ही जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है ।
-भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू - कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं ।
भारत की संसद को जम्मू - कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र (रक्षा, विदेश व संचार) में कानून बना सकती है ।
-धारा 370 की वजह से कश्मीर में सूचना का अधिकार  लागु नहीं है। आरटीई लागू नहीं है। यही नहीं कैग भी लागू नहीं होता । भारत का कोई भी कानून लागु नहीं होता ।
-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है ।
-इस राष्ट्रद्रोही अनुच्छेद के कारण कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी । वहीं दूसरी तरफ यहां की महिलाओं को पाकिस्तानियों से शादी करने पर प्रोत्साहन दिया जाता और भारतीयों से शादी करने पर सम्पति से वंचित करके  उसकी नागरिकता को रद्द कर दण्डित किया जाता है।   धारा 370 की वजह से ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय नागरिकता मिल जाता है । इसके लिए पाकिस्तानियो को केवल किसी कश्मीरी लड़की से शादी करनी होती है ।
-कश्मीर में अल्पसंख्यको व हिन्दू- सिख  को 16 प्रतिशत आरक्षण  नहीं मिलता ।
-धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते है ।

-जम्मू - कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है । जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5
वर्ष का होता है ।
-जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है ।

-कश्मीर में महिलाआंे के हितों कों संरक्षण देने वाले भारतीय कानून लागू नहीं है । कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं

उपरोक्त प्रावधानों को जानने के बाद देश के हर राष्ट्रभक्त के दिल व दिमाग में एक ही प्रश्न बडी हैरानी के साथ उठता होगा कि इस देशद्रोही अनुच्छेद को 64 साल तक देश की सत्ता में काबिज रही तमाम दलों की सरकारों ने एक पल के लिए भी देश से हटाने का कार्य क्यों नहीं किया।

अब जब मोदी सरकार ने सत्तासीन होने के बाद ही इस मामले को छूने का प्रयास भी किया तो जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुला सहित तमाम राजनैतिक दल ऐसा विधवा विलाप कर रहे हैं मानों अनुच्छेद 370 कोई राष्ट्रवादी स्तम्भ हो। सबसे हैरानी की बात यह है कि बिना इसके प्रावधानों को जाने या जानने के बाद भी देश का तथाकथित निहित स्वार्थी छदम् बुद्धिजीवी तत्व धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश में ऐसी राष्ट्रद्रोही अनुच्छेद पर प्रश्न उठाने को भी देश तोड़ने की हरकत मान रहे है।प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि इन देश की छाती पर राष्ट्रद्रोही तत्वों को संरक्षण देने वाले अनुच्छेद को तत्काल हटा कर इसका विरोध करने वालों से शक्ति से कुचल कर राष्ट्र की रक्षा करके श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान की लाज  रखी जाय। 

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