Saturday, August 2, 2014

भगवान पशुपतिनाथ  के दर पर जाने से पहले कम से कम दो फूल पूजा के लिए तो ले जाते प्रधानमंत्री मोदी 

जनहितों को रोंदने वाले रावण जैसे पराक्रमी अजेय भक्तों की लंका का भी दहन खुद हनुमान बनकर करते हैं भगवान शिव


काश भगवान पशुपतिनाथ के दर पर शीश नवाने से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अगर दो पूजा के फूल ले कर जाते तो भगवान अवश्य प्रसन्न होते। भले ही मोदी ने भगवान पशुपति नाथ के दर पर पूजा  अर्चना के लिए कई टन चंदन व पूजा के लिए विशेष प्रबंध कर रहे हैं। परन्तु भगवान शिव अपने भक्तों की पूजा पाठ से नहीं अपितु उनके सतकर्मो से ही सदा प्रसन्न होते है। भगवान शिव के दर पर जाने से पहले मोदी अगर अपने शासन के इन दो महीनों में जनहित के विशेष कार्य किये होते तो भगवान शिव अवश्य प्रसन्न होते। न तो मोदी अपने दो महीनों के राज में गौ माता सहित लाखों जीवों की निर्मम हत्या रूकवाते तो भगवान प्रसन्न होते। अगर मोदी मंहगाई से त्राही-त्राही कर रही भारत की गरीब जनता को मंहगाई से मुक्ति दिलाते तो भगवान शिव प्रसन्न होते । । भगवान शिव अपने भक्त मोदी से तब प्रसन्न होते जब प्रधानमंत्री बनते ही मोदी, अंग्रेजों को जाने के 67 साल अंग्रेजी का गुलाम बनाये हुए देश को  अंग्रेजी की गुलामी से मुक्ति देने का ऐतिहासिक निर्णय लेते। वे कभी भारत को अंग्रेजी से मुक्ति दिलाने के लिए संसद की चैखट पर आंदोलनरत भारतीय भाषा आंदोलन व सीसेट रद्द करो आंदोलन की शर्मनाक उपेक्षा नहीं करते। भगवान शिव हमेशा शिवत्व को आत्मसात करके जगत कल्याण के लिए समर्पित रहने वाले भक्त से प्रसन्न रहते हैं और जनहितों को रौंदने वाले भक्तों की पाठ पूजा से भी रूष्ठ हो कर खुद ही दण्ड  देते हैं।
भगवान शिव भी हैरान होगे कि सत्तासीन होने के बाद उसके भक्त को उनके राज में हर दिन दो टके के लिए निर्ममता से कत्ल की जा रही गौ माता सहित  अन्य जीवों की करूण पुकार क्यों नहीं सुनाई दे रही है। क्यों भारतीय संस्कृति  की दुहाई देने वाले मोदी जैसे भक्त की आत्मा देश में बने कत्लगाहों के बंद करने के लिए धिक्कार नहीं रही है। भगवान शिव ने तो सारी सृष्टि के कल्याण के लिए स्वयं विष का पान करके जड़ चेतन की रक्षा कर नीलकण्ठ के रूप में विख्यात रहे। भगवान केदारेश्वर के रूप में देवभूमि उत्तराखण्ड को रौंदने वाले कुशासकों को तांडव दिखा कर व बेनकाब करके सत्तांध धृतराष्ट्रों को आगाह भी करते है।
परन्तु ना जाने प्रधानमंत्री मोदी को इसका भान होना चाहिए कि सारी सृष्टि के जड़ चेतन के परम कल्याणकारी परमेश्वर हैं भगवान शिव शंकर। वह पाठ, पूजा करने से ही नहीं अपितु जगत कल्याण के सत कार्यो से प्रसन्न होते है। पाठ पूजा तो रावण भी बहुत करता था परन्तु जब रावण ने निर्मम  अत्याचार करके जनहितों को रौंदने का काम किया तो भगवान शिव ने स्वयं हनुमान बन कर उसकी सोने की लंका का दहन किया।
वह अपने उस  भक्त से कैसे प्रसन्न हो सकते हैं जिनको उन्होंने अपनी दिव्य कृपा से एक चाय बेचने वाले से आज संसार का सबसे बडे लोकतंत्र का भाग्य विधाता बना दिया है परन्तु देश का भाग्य विधाता बनने के बाद वह भक्त भगवान शिव के दिव्य कल्याण तत्व को भूल कर सत्तामद में ही अपने दायित्व को भूल गया है। भगवान सदाशिव के दर पर अपनी इस भूल के लिए क्षमा याचना करके मोदी देश के सम्मान, जनहितों व प्राणीमात्र की रक्षा करने के दायित्व का निर्वहन करने का संकल्प लें तभी भगवान शिव मोदी से प्रसन्न होंगे।